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Wednesday 23 November 2016

Mera desh badal rha h

Ameer dar raha hai, gareeb mar raha hai...
Mera Desh badal raha hai..

Sona ubal raha hai, paisa gal raha hai..
Mera Desh badal raha hai..

Ilaaj kara nahi sakte, roti khaa nahi sakte, gareeb tadap raha hai, ameer sisak raha hai...
Sach mei..
Mera Desh badal raha hai..

Na koi mazhab koi bhagwaan, ek hi line mei khade hai Hindu aur Musalaman..
Mera Desh badal raha hai..

Na sadko par jaam na bazaar mei kaam har koi note badal raha hai..
Mera Desh badal raha hai..

Koi kehta hai Desh jal raha hai..
Koi kehta hai Desh sambhal raha hai..
Kya sach mei mera Desh badal raha hai ???

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Telangana chief minister K Chandrasekhar Rao's new official residence-cum-office can be any chief minister's envy in the country.

®


Telangana chief minister K Chandrasekhar Rao's new official residence-cum-office can be any chief minister's envy in the country. Constructed at a cost of more than Rs 60 crore, KCR performed the 'griha pravesam' ceremony at 5.22 am on Thursday.

The house warming ceremony was a low-key affair but after the ceremony, the CM is opening up the house for his ministers and senior party leaders to come and see it.

KCR's nephew Harish Rao, who is the state's irrigation minister, KCR's son K T Rama Rao, IT minister and others came in soon after the pooja to take part in the festivities.

The grand house built on nine-acre land at Geenlands impressed the small crowd that was invited. The media was not invited for the ceremony.

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Saturday 19 November 2016

Question + Answer

1. सती प्रथा का सर्वाधिक विरोध किसने किया ?
उत्तर – राजा राम मोहन रॉय ।

2 OBC का फुल फार्म (Full Form) क्या है ।
उत्तर – Other Backward classes

3. SAIL क्यों प्रसिद्ध है ?
उत्तर – स्टील उत्पादन के लिए ।

4. डिमांड ड्राफ्ट को क्रास क्यों किया जाता है ?
उत्तर – ताकि भुगतान बैंक के खाते के द्वारा ही किया जा सके ।

5. पुष्कर मेल कहाँ लगता है ?
उत्तर – जयपुर

6. आजाद हिन्द फ़ौज की स्थापना कहाँ हुई थी ?
उत्तर – सिंगापुर

7. क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में भारत का स्थान है ।
उत्तर – सातवां

8. जाकिर हुसैन का सम्बन्ध है ।
उत्तर – तबला से

9. लाल बहादुर शास्त्री का समाधि स्थल है ।
उत्तर – विजय घाट

10. स्वेज नहर जोड़ती है ।
उत्तर – लाल सागर और भूमध्य सागर को

11. मसलो की रानी किसे कहते है ?
उत्तर – इलायची को

12. ‘][‘ का सूचक है।
उत्तर- पुल का

13. नाजीवाद के संस्थापक कौन थे ?
उत्तर – हिटलर

14. ‘दीन-ए-इलाही’ धर्म किसने चलाया ?
उत्तर – अकबर ने

15. किसे ‘गरीब नवाज़’ खा जाता है ?
उत्तर – मुईनुद्दीन चिश्ती

16. क़ुतुब मीनार कहा है ?
उत्तर – दिल्ली में

17. पर्वत और पहाड़ के बीच की भूमि को कहते हैं ।
उत्तर – घाटी

18. सहरिया जनजाति पाई जाती है ।
उत्तर – राजस्थान में

19. मानचित्र में पर्वत और पहाड़ को दर्शाया जाता है ।
उत्तर- लाल रंग से

20. सिल्क (रेशम) का सबसे बड़ा उत्पादक देश है ।
उत्तर – चीन

21. कारगिल युद्ध के समय पाकिस्तान का प्रधानमंत्री कौन था ?
उत्तर – नवाज शरीफ

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बैंक में कैश जमा करवाते समय विशेष ध्यान दे।

बैंक में कैश जमा करवाते समय विशेष ध्यान दे।

सेविंग एकाउंट व करंट एकाउंट में पुराने नोट अपने खाते में एक ही बार जमा होंगे, इसलिए सभी ध्यान दे पैसे जमा करवाने में जल्दबाजी न करे। आप अपने खाते में 31 दिसम्बर 2016 तक खाते में पुराने नोट एक बार कभी भी जमा करवा सकते है। इस पर accountant के साथ बैंककर्मी से भी सलाह ले, ऐसा नहीं हो की आप जल्दबाजी में 4000/- रुपये जमा करवाने तक सीमित रह जाये और घर में पड़े बाकि लाखो रुपए केवल कागज रह जाये।

ऐसी घटना हमारे मित्र परिवार के साथ घटी, घर की महिला ने घर के तीन व्यक्तियों के एकाउंट में 2000-2000 हजार रुपए जमा करवाने के बाद एकाउंट लॉक हो गया अब इस एकाउंट में दूसरी बार  पुराने नोट जमा नहीं करवा सकते। ये जानकारी बैंक मैनेजर से फ़ोन पर बात करने पर प्राप्त हुई। ऐसा ही कुछ चालू खाते के लिए भी है।

इसलिए अगर आप किसी भी खाते में पुराने नोट जमा करवा रहे है तो एक ही बार घर के सभी पैसे जमा करवा दे।

आप अपने सेविंग एकाउंट में दो से ढाई लाख बैलेंस रखकर लेनदेन करते है तो उस पर किसी प्रकार का टैक्स नहीं भरना पड़ेगा। करंट एकाउंट में अपने व्यवसाय के अनुसार unlimited जमा करवा सकते है।

*बी पी एल भामाशाह कार्ड होल्डर सावधान*

अगर आप *बी पी एल भामाशाह कार्ड होल्डर है* तो ध्यान रखे।

*किसी के कहने पर अपने बचत खाते मे बड़ी रकम जमा नही कराये।* ऐसा करने से आप इसी श्रेणी से बाहर हो जायेगे,  *जिससे  आप सरकारी सुविधाओ से वंचित हो जायेगे।*
इसलिए सोच समझकर निर्णय ले।

                   /// सावधान///
अगर आपसे नोट बदलने के दौरान बैंक निर्धारित फार्म के साथ आपकी आईडी की फोटोकापी मांगता है तो आप उस फोटोकापी पर दिनांक और एमाउंट अवश्य लिख दें अन्यथा बैंक द्वारा आपकी आईडी को कई बार फोटोस्टेट करके दूसरे की ब्लैकमनी बदलने का प्रयास किया जा सकता है।

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Sunday 13 November 2016

तंबाकू जहर है। यह हर रूप में नुकसान पहुंचाता है।

*तंबाकू जहर है। यह हर रूप में नुकसान पहुंचाता है।* ��
अकसर तंबाकू सेवन की शुरुआत कॉलेज में दोस्तों के साथ होती है, जो बाद में ऑफिस और घर में साथ नहीं छोड़ती। आंकड़ों से पता चलता है कि हर वर्ष भारत में धूम्रपान की वजह से लगभग नौ लाख लोगों की मौत होती है। इनमें कैंसर से मरने वालों की संख्या लगभग सात लाख होती है। इसकी वजह यह है कि तंबाकू में 3000 से अधिक प्रकार के हानिकारक रसायन पाये जाते हैं जो सीधे शरीर के हर हिस्से को नुकसान पहुंचाते हैं। जैसे अमोनिया, कार्बन मोनोऑक्साइड, मेथेनॉल, निकोटिन, कोलतार, रेडियोएक्टिव तत्व आदि। ’ग्लोबल यूथ टोबैको’ सव्रे के अनुसार, अपने देश में 65 प्रतिशत पुरुष और 20 प्रतिशत से अधिक महिलाएं किसी ना किसी रूप में तंबाकू का सेवन कर रही हैं। कैंसर के एक चौथाई मामले तंबाकू के कारण होते हैं। *विशेषज्ञों के अनुसार, एक सिगरेट पीने से आयु तकरीबन साढ़े पांच मिनट कम हो जाती है।*��

*तंबाकू से होने वाली बीमारियां*��
तंबाकू चबाने से मुंह का कैंसर, खाने की नली, सांस की नली और जननांग का कैंसर होता है। धूम्रपान करने से मुंह का कैंसर, खाने और सां स की नली का कैंसर, फेफड़े, लैरिंक्स, पेट, पित्त की थैली और पेशाब की थैली का कैंसर होता है। हृदय रोग जैसे ब्लड प्रेशर बढ़ना और हार्ट अटैक। सांस का रोग जैसे क्रॉनिक ओबस्ट्रक्टिव पॉलमोनरी डिजीज। यही नहीं, स्मोकिंग से टीबी होने का खतरा भी चार गुना बढ़ जाता है। गर्भपात, बच्चों में विकृतियां और महिलाओं में अनियंत्रित माहवारी। धूम्रपान करने वाले लोगों में सेक्स संबंधी समस्या भी होती है। अकसर देखा गया है कि लोग तनाव को दूर करने के लिए तंबाकू का सेवन करते हैं लेकिन हकीकत इससे अलग है। तंबाकू का सेवन करने वाला व्यक्ति तनाव से ग्रस्त होता है।

*कैसे छोड़ें तंबाकू*����
तंबाकू छोड़ने के तीन महत्वपूर्ण चरण होते हैं। पहला क्विक डे। इसी दिन निर्धारित किया जाता है कि आज के बाद से तंबाकू के किसी भी उत्पाद का सेवन नहीं करना है। दूसरा विदड्राल पीरियड। इस दौरान, अगर तंबाकू की तलब होती है तो कुछ चबायें जैसे च्युइंगम, इलायची आदि। तीसरा और अंतिम चरण होता है मेंटेन फेज। इसमें तय करना होता है कि तंबाकू का सेवन पूरी दुनिया करे लेकिन यह मेरे लिए नुकसानदेह है। इसलिए इसे कभी हाथ नहीं लगाएंगे। इसके अलावा, अपने आसपास के लोगों को अपने फैसले से अवगत करायें। उनसे सहयोग लें। दिन में कम से कम दो-तीन बार नहायें। जब तंबाकू की लत लगे तब अपने को व्यस्त रखने की कोशिश करें। टीवी देखें या बच्चों के साथ मौज-मस्ती करें।

                      ���धन्यवाद
                          .��

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मौलाना अबुल कलाम आज़ाद


जन्म: 11 नवम्बर, 1888
निधन: 22 फरवरी, 1958

उपलब्धियां: 1923 और 1940 में कांग्रेस के अध्यक्ष, स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का असली नाम अबुल कलाम ग़ुलाम मुहियुद्दीन था। वह मौलाना आज़ाद के नाम से प्रख्यात थे। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। वह एक प्रकांड विद्वान के साथ-साथ एक कवि भी थे। मौलाना आज़ाद कई भाषाओँ जैसे अरबिक, इंग्लिश, उर्दू, हिंदी, पर्शियन और बंगाली में निपुण थे। मौलाना आज़ाद किसी भी मुद्दे पर बहस करने में बहुत निपुण जो उनके नाम से ही ज्ञात होता है – अबुल कलाम का अर्थ है “बातचीत के भगवान”। उन्होंने धर्म के एक संकीर्ण दृष्टिकोण से मुक्ति पाने के लिए अपना उपनाम “आज़ाद” रख लिया। मौलाना आज़ाद स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री बने। राष्ट्र के प्रति उनके अमूल्य योगदान के लिए मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को मरणोपरांत 1992 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया ।

प्रारंभिक जीवन
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का में हुआ था। उनके परदादा बाबर के ज़माने में हेरात (अफ़ग़ानिस्तान का एक शहर) से भारत आये थे। आज़ाद एक पढ़े लिखे मुस्लिम विद्वानों या मौलाना वंश में जन्मे थे। उनकी माता अरब देश के शेख मोहम्मद ज़हर वत्री की पुत्री थीं और पिता मौलाना खैरुद्दीन अफगान मूल के एक बंगाली मुसलमान थे। खैरुद्दीन ने सिपाही विद्रोह के दौरान भारत छोड़ दिया और मक्का जाकर बस गए। 1890 में वह अपने परिवार के साथ कलकत्ता वापस आ गए।

परिवार के रूढ़िवादी पृष्ठभूमि के कारण आज़ाद को परम्परागत इस्लामी शिक्षा का ही अनुसरण करना पड़ा। शुरुआत में उनके पिता ही उनके अध्यापक थे पर बाद में उनके क्षेत्र के प्रसिद्ध अध्यापक द्वारा उन्हें घर पर ही शिक्षा मिली। आज़ाद ने पहले अरबी और फ़ारसी सीखी और उसके बाद दर्शनशास्त्र, रेखागणित, गणित और बीजगणित की पढाई की। अंग्रेजी भाषा, दुनिया का इतिहास और राजनीति शाष्त्र उन्होंने स्वयं अध्यन कर के सीखा।

कैरियर
उन्होंने कई लेख लिखे और पवित्र कुरान की पुनः व्याख्या की। उनकी विद्वता ने उन्हें तक्लीक यानी परम्पराओं के अनुसरण का त्याग करना और तज्दीद यानी नवीनतम सिद्धांतो को अपनाने का निर्देश दिया। उन्होंने जमालुद्दीन अफगानी और अलीगढ के अखिल इस्लामी सिद्धांतो और सर सैय्यद अहमद खान के विचारो में अपनी रूचि बढ़ाई। अखिल इस्लामी भावना से ओतप्रोत होकर उन्होंने अफगानिस्तान, इराक, मिश्र, सीरिया और तुर्की का दौरा किया। वह इराक में निर्वासित क्रांतिकारियों से मिले जो ईरान में संवैधानिक सरकार की स्थापना के लिए लड़ रहे थे। मिश्र में उन्होंने शेख मुहम्मद अब्दुह और सईद पाशा और अरब देश के अन्य क्रांतिकारी कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। उन्हें कांस्टेंटिनोपल में तुर्क युवाओं के आदर्शों और साहस का प्रत्यक्ष ज्ञान हुआ। इन सभी मुलाकातों ने उन्हें राष्ट्रवादी क्रांतिकारी में तब्दील कर दिया।

विदेश से लौटने पर आज़ाद ने बंगाल के दो प्रमुख क्रांतिकारियों अरविन्द घोष और श्री श्याम शुन्दर चक्रवर्ती से मुलाकात की और ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांतिकारी आंदोलन में शामिल हो गए। आज़ाद ने क्रांतिकारी गतिविधियों को बंगाल और बिहार तक ही सीमित पाया। दो सालों के अंदर मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने पूरे उत्तर भारत और बम्बई में गुप्त क्रांतिकारी केन्द्रो की संरचना की। उस समय बहुत सारे क्रांतिकारी मुस्लिम विरोधी थे क्योंकि उन्हें लगता था कि ब्रिटिश सरकार मुस्लिम समाज का इस्तेमाल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के विरुद्ध कर रही है। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने अपने सहयोगियों को समझाने की कोशिश।

1912 में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने मुसलमानों में देशभक्ति की भावना को बढ़ाने के लिए ‘अल हिलाल’ नामक एक साप्ताहिक उर्दू पत्रिका प्रारम्भ की। अल हिलाल ने मोर्ले मिंटो सुधारों के परिणाम स्वरुप दो समुदायों के बीच हुए मनमुटाव के बाद हिन्दू मुस्लिम एकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अल हिलाल गरम दल के विचारों को हवा देने का क्रांतिकारी मुखपत्र बन गया। 1914 में सरकार ने अल हिलाल को अलगाववादी विचारों को फ़ैलाने के कारण प्रतिबंधित कर दिया। मौलाना आज़ाद ने तब हिन्दू-मुस्लिम एकता पर आधारित भारतीय राष्ट्रवाद और क्रांतिकारी विचारों के प्रचार के उसी लक्ष्य के साथ एक और साप्ताहिक पत्रिका ‘अल बलाघ’ शुरू की। 1916 में सरकार ने इस पत्रिका पर भी प्रतिबंध लगा दिया और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को कलकत्ता से निष्कासित कर दिया और रांची में नजरबन्द कर दिया गया जहा से उन्हें 1920 के प्रथम विश्व युद्ध के बाद रिहा कर दिया गया ।

रिहाई के पश्चात आज़ाद ने खिलाफत आंदो

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